मनी लांड्रिंग और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में वित्तीय मदद रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था आरंभ की है। आरबीआई ने मई 2013 तक सभी बैंकों के खाताधारकों को यूनीक कस्टमर आइडेंटिफिकेशन (यूसीआई) कोड देने के निर्देश दिए हैं। इससे फर्जी खातेधारकों की पहचान हो सकेगी और उनकी गतिविधियों पर नियंत्रण लगाया जा सकेगा। इसके अलावा इस कोड की मदद से ग्राहक की वित्तीय स्थिति को भी एक क्लिक से देखा जा सकेगा।
रिजर्व बैंक की ‘मॉनिट्री पॉलिसी 12-13’ में भी यूसीआई कोड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। यह ग्राहकों की पहचान, ग्राहक द्वारा ली गई सुविधाएं और विभिन्न खातों में किए गए लेनदेन, लोन समेत उसकी पूरा वित्तीय प्रोफाइल की जानकारी देगा। इस संबंध में रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक ए. उद्गता ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी की।
इसमें उन्होंने कहा कि बैंकों समेत अन्य वित्तीय संस्थाओं में मल्टिपल आइडेंटिटी के जरिए गड़बड़ी करने वाले खाताधारकों पर लगाम लगेगी। सर्कुलर में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इससे मनी लांड्रिंग और आतंकियों को मिलने वाली वित्तीय सहायता आदि को भी रोका जा सकेगा। कोड तैयार करने के लिए भारत सरकार की ओर से एक कार्यशील समूह बनाने का प्रस्ताव दिया है।
अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को सर्वप्रथम कोड का काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। यह कोड वर्तमान ग्राहकों को तो दिए ही जाएंगे, भविष्य में बैंक खाता खुलवाने पर यूसीआई कोड अनिवार्य रूप से दिया जाएगा। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि कुछ भारतीय बैंकों ने अपने यहां इस प्रकार के विशेष कोड ग्राहकों को दिए हैं, मगर यह पूरे फाइनेंशियल सिस्टम के लिए नहीं हैं।
उधर पंजाब नेशनल बैंक के डीजीएम पीआर राठी ने आरबीआई की इस व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि इस कोड के जरिए बैंकिंग चैनल को और मजबूत करने में मदद मिलेगी। बैंकिंग मामलों के जानकार हेमंत गुप्ता ने कहा कि यह अच्छा फैसला है। केवल बैंक ही नहीं, वित्त एवं राजस्व से जुड़े तमाम महकमे इसका लाभ ले सकेंगे।
रिजर्व बैंक की ‘मॉनिट्री पॉलिसी 12-13’ में भी यूसीआई कोड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। यह ग्राहकों की पहचान, ग्राहक द्वारा ली गई सुविधाएं और विभिन्न खातों में किए गए लेनदेन, लोन समेत उसकी पूरा वित्तीय प्रोफाइल की जानकारी देगा। इस संबंध में रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक ए. उद्गता ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी की।
इसमें उन्होंने कहा कि बैंकों समेत अन्य वित्तीय संस्थाओं में मल्टिपल आइडेंटिटी के जरिए गड़बड़ी करने वाले खाताधारकों पर लगाम लगेगी। सर्कुलर में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इससे मनी लांड्रिंग और आतंकियों को मिलने वाली वित्तीय सहायता आदि को भी रोका जा सकेगा। कोड तैयार करने के लिए भारत सरकार की ओर से एक कार्यशील समूह बनाने का प्रस्ताव दिया है।
अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को सर्वप्रथम कोड का काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। यह कोड वर्तमान ग्राहकों को तो दिए ही जाएंगे, भविष्य में बैंक खाता खुलवाने पर यूसीआई कोड अनिवार्य रूप से दिया जाएगा। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि कुछ भारतीय बैंकों ने अपने यहां इस प्रकार के विशेष कोड ग्राहकों को दिए हैं, मगर यह पूरे फाइनेंशियल सिस्टम के लिए नहीं हैं।
उधर पंजाब नेशनल बैंक के डीजीएम पीआर राठी ने आरबीआई की इस व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि इस कोड के जरिए बैंकिंग चैनल को और मजबूत करने में मदद मिलेगी। बैंकिंग मामलों के जानकार हेमंत गुप्ता ने कहा कि यह अच्छा फैसला है। केवल बैंक ही नहीं, वित्त एवं राजस्व से जुड़े तमाम महकमे इसका लाभ ले सकेंगे।
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